टाइप 2 डायबिटीज क्या है? पूरी जानकारी सरल शब्दों में

टाइप 2 डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज के सबसे आम रूप को टाइप -2 डायबिटीज कहा जाता है। इस स्थिति में रक्त में शुगर का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। टाइप -2 डायबिटीज आमतौर पर वृद्ध लोगों में देखने को मिलता है, लेकिन यह कम उम्र वाले लोगों और यहां तक कि कभी-कभी बच्चों में भी हो सकता है। टाइप – 2 डायबिटीज में होने वाले लक्षण रक्त में शुगर की मात्रा पर निर्भर करता है। साथ ही टाइप – 2 डायबिटीज को ठीक करना अंसभव है, लेकिन कुछ बदलाव से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है। टाइप -2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखने से मरीज स्वस्थ व एक्टिव जीवन जी पाता है। अधिकतर लोग हेल्दी भोजन, एक्सरसाइज और समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच करवा कर टाइप – 2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखते हैं। लेकिन  बहुत से लोगों को डायबिटीज निंयत्रित करने के लिए दवाओं का सेवन करना पड़ता है।

टाइप – 2 डायबिटीज का मतलब क्या है? 

यह एक दीर्घकालिक मेडिकल समस्या है, जिसमें रक्त में मौजूद शुगर या ग्लूकोज का लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है। टाइप – 2 डायबिटीज में आपके शरीर के सेल्स, इंसुलिन के प्रति इतने अच्छे से काम नहीं कर पाती है जितने अच्छे से करना चाहिए।

टाइप – 2 डायबिटीज के लक्षण क्या है? 

टाइप – 2 डायबिटीज में कई लोगों को को ई लक्षण महसूस नहीं होते हैं, लेकिन कुछ संकेतों को बुढ़ापे के संकेत समझ कर नजर अंदाज कर देते हैं। इसलिए टाइप 2 डायबिटीज का पता अक्सर किसी अन्य बीमारी की जांच करने के दौरान ही लगता है। टाइप 2 डायबिटीज में लोगों को अक्सर कुछ इस प्रकार के लक्षण महसूस होने लगते हैं –

  • बार-बार प्यास लगना – टाइप – 2 डायबिटीज में व्यक्ति को बार-बार प्यास और पेशाब लगता है। जिस वजह से आपका शरीर आमतौर पर निर्जलित ही रहता है। शरीर का निर्जलीकरण होने के कारण ही बार-बार प्यास लगती है।
  • बार-बार पेशाब आना – खून में अतिरिक्त शुगर की उपस्थिति के कारण किडनी को साफ बनाए रखने के लिए अधिक काम करना पड़ता है और यूरिन के द्वारा अतिरिक्त शुगर को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है इसलिए बार-बार पेशाब आता है।
  • थकान महसूस होना – जब हमारे शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है यानी ग्लूकोज की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती है। तब व्यक्ति को थकान महसूस होती है और उसे जल्दी भूख लगने लगती है। ये भी डायबिटीज का एक महत्वपूर्ण लक्षण है।
  • घावों का देर से भरना – डायबिटीज रोगी में ब्लड शुगर का लेवल सही न होने के कारण तंत्रिका या किसी अन्य अंग की क्षति का कारण बन जाता है। इस समस्या में आपके शरीर के घाव को ठीक होने में काफी देर लगती है। अगर आपके घाव भी ठीक होने में अधिक समय ले रहे हैं तो किसी डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  • वजन कम होना – टाइप – 2 डायबिटीज के मरीजों में अक्सर ये देखा जाता है कि, उनका वजन कम होने लगता है, इसलिए कहते हैं कि टाइप – 2 डायबिटीज से पीड़ित मरीज के वजन में कमी आने लगती है।
  • इंफेक्शन होना – टाइप – 2 डायबिटीज से अधिकतर महिला या पुरूष दोनों ही पीड़ित हो सकते हैं। ऐसा आप उनके हाथ और पैर की उंगलियों के बीच, सेक्स अंगो के आसपास और स्तन के नीचे यीस्ट इंफेक्शन होने पर भी आप पता लगा सकते हैं कि आप टाइप – 2 डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं।
  • बालों का झड़ना – डायबिटीज के समय ये भी देखने को मिलता है कि डायबिटीज रोगियों के बाल झड़ने शुरू हो जाते है।

टाइप 2 डायबिटीज के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? 

एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है, जिसकी सहायता से शरीर भोजन से प्राप्त हुए शुगर को जमा करता है और उसका इस्तेमाल करता है और जब इसमें खराब आने लगे तो कुछ इस तरह के कारण होते हैं –

  • जब पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।
  • जब पैंक्रियाज बहुत ही कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है और शरीर में इतना इंसुलिन नहीं हो पता जितना होना चाहिए। तब इस स्थिति में शुगर कोशिकाओं में जाने की बजाए रक्त में जमा होने लग जाता है।
  • शरीर जब इंसुलिन पर ठीक तरीके से प्रतिक्रिया ना दें, इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है।
  • जब ग्लूकोज कोशिकाओं में जाने की बजाएं रक्त में जमा हो जाता है तब इसकी वजह से शरीर के कई हिस्सों में क्षति पहुंचना शुरू हो जाती है। कोशिकाओं को आवश्यकता के अनुसार इंसुलिन ना मिलने पर वे ठीक से काम नहीं करती है।

टाइप 2 डायबिटीज का निदान क्या हो सकता है? 

डायबिटीज एक गंभीर समस्या है और सिर्फ भारत में कई करोड़ युवा प्रभावित हैं। कमाल की बात तो ये है कि अधिकतर लोगों ये पता नहीं होता है कि वे डायबिटीज के मरीज है। टाइप – 2 डायबिटीज डायबिटीज का सबसे मुख्य प्रकार है, जिसे मैनेज किया जा सकता है, लेकिन यदि आप सिर्फ इन 5 टिप्स को फॉलो करके डायबिटीज को कम कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इन 5 टिप्स के बारे में।

  1. फाइबर अधिक लेना – टाइप – 2 डायबिटीज से बचाव करने के लिए फाइबर का सेवन करना बेहद आवश्यक हैं, यदि आप अपनी डाइट में रोजाना 2000 कैलोरी खा रहें हैं, इसके बदले आपको 25 ग्राम फाइबर की मात्रा लेनी चाहिए, जिसके लिए सेब, साबुत अनाज, हरे मटर आदि को अपना आहार में शामिल करना चाहिए।
  2. जंक फूड से दूरी बनाए – एक शोध के अनुसार, फास्ट व जंक फूड से दूरी बनाकर डायबिटीज से बचा जा सकता है, क्योंकि इनमें फैट और शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है। इसके अलावा ये तेजी से रक्त में शुगर को संचारित करते हैं, जो ब्लड शुगर को खतरनाक लेवल पर पहुंचा सकता है।
  3. रोजाना चलें – जिन लोगों की लाइफस्टाइल सही नहीं रहती है, उनमें डायबिटीज का खतरा अधिक होता है। वहीं एक शोध से पता चला है कि, जो बच्चे अधिक देर तक बैठे रहते हैं या टीवी, मोबाइल की स्क्रीन पर अधिक टाइम बिताते हैं तो उनमें इंसुलिन सेंसिटिविटी 8.7 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसलिए आपको हर घंटे में करीब 5 से 7 मिनट चहलना जरूरी है।
  4. रोजाना एक्सरसाइज करें – जो लोग एक्सरसाइज करते हैं, उनके शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी सही रहती है, जिससे इंसुलिन हार्मोन रक्त शर्करा को कंट्रोल में रखता है। आपकाे रक्त शर्करा नियंत्रण में रखने के लिए हफ्ते में 5 दिन में 40 से 45 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए या फिर 2000 कैलोरी जरूर बर्न करनी चाहिए।
  5. विटामिन-डी लें – एक रिपोर्ट में ये भी सुनने को मिला था कि, हमारे शरीर में विटामिन-डी का पर्याप्त लेवल टाइप – 2 डायबिटीज का खतरा 43 प्रतिशत तक कम करता है, इसलिए आप सुबह-शाम के समय धूप में समय जरूर बिताएं और मछली, दही आदि का सेवनम करें।

टाइप 2 डायबिटीज़ के सटीक उपचार क्या है?  

वैसे तो डायबिटीज का कोई सटीक उपचार मौजूद नहीं है, लेकिन डायबिटीज टाइप – 2 के जोखिम को कम कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में प्री-डायबिटीज की जांच की जाती है तो डॉक्टर लाइफस्टाइल मं कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं।

टाइप 2 डायबिटीज से किस तरह बचाव किया जा सकता है? (How can type 2 diabetes be prevented in Hindi?)

नीचे दी हुई जानकारी की मदद से आप डायबिटीज से अपना बचाव कर सकते हैं जैसे –

  • डायबिटीज के बारे में विस्तार से जाने – इसके कारण और लक्षणों के बारे में जानें और यह पता लगाएं कि यह कितनी गंभीर बीमारी है। इसके अलावा हमने यूट्यूब चैनल TV HEALTH पर आपको डायबिटीज के बारे में विस्तार से भी बताया है।
  • समय पर अपना टेस्ट करवाएं – जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, नियमित रूप से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच करने की आदत डाल लेनी चाहिए।
  • मीठे पदार्थ ना पिएं – मीठे पेय पदार्थों को पीने की जगह पर सादा पानी पिएं।
  • वजन को सामान्य रखने की कोशिश करें – शरीर में सामान्य से अधिक चर्बी, खासकर अगर पेट में चर्बी है तो उससे इंसुलिन हार्मोन के प्रति रेसिसटेंस अधिक बढ़ जाते हैं।
  • बाहर के खाने से दूरी रखें – फास्ट फूड, जंक फूड और बाहर के पके हुए खाने से दूरी बनाएं रखे या कम खाएं।
  • शराब से रहे दूर – अधिक शराब पीने से शरीर का वजन बढ़ने लगता है और इससे आपका ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है।
  • रोजाना एक्सरसाइज करें – टाइप 2 डायबिटीज से बचने के लिए आपको रोजाना एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। हफ्ते के 5 दिनों में थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करें, क्योंकि ऐसा करने से रक्त में शुगर का लेवल कम होता है और इससे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल में भी सुधार देखने को मिलता है।
  • हेल्दी डाइट लें – आप अपने आहार में फाइबर भरपूर पदार्थों को शामिल करें।
  • धूम्रपान करने से बचे – जो लोग सिगरेट नहीं पीते उनके मुकाबले सिगरेट करने वाले लोगों में टाइप – 2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक देखने को मिलता है।
  • ब्लड प्रेशर को सामान्य रखें – डायबिटीज होने का ये भी एक मुख्य कारण है, लेकिन रोजाना व्यायाम करने से, स्वस्थ आहार खाने से और शरीर का सही वजन बनाए रखने अधिक लोगों का ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। कुछ मामलों में स्थिति को नियंत्रित में रखने के लिए डॉक्टर से दवा भी लेनी पड़ती है।

टाइप 2 डायबिटीज के लिए जरूरी टेस्ट कौन कौन से है? 

जांच के समय डॉक्टर आपसे लक्षणों और कितनी समय से इन लक्षणों से जूझ रहे हैं आदि के बारे में पूछेगें। इस दौरान डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य संबंधी पहले जानकारी भी सकते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को भी डायबिटीज है, तो जांच के समय डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताना। डॉक्टर ब्लड टेस्ट की मदद से भी टाइप 2 डायबिटीज का पता लगा सकते हैं। अगर आपके रक्त में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ गया है, तो ब्लड टेस्ट की मदद से इसका पता भी लगाया जा सकता है। तब डॉक्टर कुछ इस प्रकार के टेस्ट करते हैं –

  • ए1सी (ग्लाइकेटेडहेमोग्लोबिन) टेस्ट – इन चांज की मदद से यह पता चल पाता है कि पिछले तीन महीनों से रोगी के शुगर लेवल औसतन कितना रहा है। इस टेस्ट को हीमोग्लोबिन टेस्ट ए1सी, एचबीए1सी, ग्लाइकेटेडहेमोग्लोबिन) और ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्टा आदि कई नामों से जाता है। यह जांच करवाने से पहले आप सामान्य रूप से कुछ भी खा सकते हैं। जब टाइप 2 डायबिटीज का पता लगाने के लिए ए1सी करना की बात आती है, तो डॉक्टर उम्र का हिसाब लगाते हैं या फिर आप यह पता लगाते हैं कि कहीं आपे शरीर में खून की कमी तो नहीं या खून संबंधी कोई अन्य समस्या शुरू तो नहीं हो गई। साथ ही जिन लोगों के शरीर में रक्त की कमी होती है , तो ए1सी टेस्ट का रिजल्ट उनमें सटीक नहीं आता। अगर दो बार ए1सी टेस्ट करने के बाद दोनों बार के रिजल्ट में ए1सी का लेवल 6.5 प्रतिशत से ऊपर आता है तो इसका अर्थ है कि आपको डायबिटीज है। अगर रिजल्ट 5.7 से 6.4 के बीच आता है, तो यह प्री-डायबिटीज की और संकेत देता है तब इसका मतलब है कि आपको डायबिटीज होने का खतरा अधिक है। 5.7 से नीते का लेवल सामान्य होता है।
  • रेंडम ब्लड शुगर टेस्ट – इस जांच में सामान्य रूप से किसी भी समय शरीर से रक्त का सेंपल ले लिया जाता है। ब्लड शुगर के लेवल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर के रूप में मापा जाता है। यह परवाह ना करते हुए कि, आपने क्या खाया है और कब खाया है अगर आपके ब्लड शुगर टेस्ट का रिजल्ट 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे ऊपर आ रहा है तो उसका अर्थ है कि आपको डायबिटीज है। खासकर प्रति डेसीलीटर जैसे लक्षण भी महसूस हो रहे हैं। जैसे उदाहरण के लिए बार-बार पेशाब आना और अत्यधिक प्यास लगना।
  • फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट – इस जांच को करने के लिए रोगी को पूरी रात खाली पेट रहने के बाद सुबह-सुबह ब्लड सेंपल लिया जाता है। इसमें आदि टेस्ट के रिजल्ट में शुगर लेवल 100 mg/dl आ रहा है, तो इसे सामान्य सामान्य स्थिति कहा जाता है। अगर शुगर लेवल 100 से 125 mg/dl आ रहा है, तो इसका अर्थ है कि आप डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं। अगर दो बार टेस्ट करने के बाद दोनों बार शुगर लेवल 126 mg/dl या उससे ऊपर आया है, तो इसका अर्थ है कि आपको टाइप – 2 मधुमेह हो चुका है।
  • ओरल ग्लूकोज टोलेरेंस टेस्ट – इस जांच के लिए रोगी को रातभर खाली पेट रहना पड़ता है और सुबह फास्टिंग ब्लड शुगर जांच करवाना पड़ता है। उसके बाद डॉक्टर रोगी को कोई मीठा पेय पदार्थ पिलाते हैं और उसके दो घंटे बाद शुगर लेवल की जांच की जाती है। अगर इस ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dl से कम है तो आप खतरे से बाहर है।

टाइप 2 डायबिटीज और टाइप 1 डायबिटीज में अंतर 

डायबिटीज दो तरह की होती है पहली टाइप – 1 और दूसरी टाइप – 2, इनमें टाइप – 1 डायबिटीज वह है जो हमें अनुवांशिकतौर पर होती है यानी कि जब किसी के परिवार में मम्मी-पापा, दादा-दादी में से किसी को भी शुगर की बीमारी रही हो तो ऐसे व्यक्ति में इस बीमारी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

अगर किसी व्यक्ति को वंशानुगत कारणों से डायबिटीज होती है तो इसे टाइप – 1 डायबिटीज कहा जाता है। लेकिन कुछ लोगों में गलत लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह की वजह से यह बीमारी अधिक बढ़ जाती है तो इस स्थिति को टाइप – 2 डायबिटीज कहते हैं।

निष्कर्ष 

AgVa की वेबसाइट पर हमने आपको टाइप – 2 डायबिटीज से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी जानकारी देने का प्रयास किया है। आप इसके बारे में पढ़कर अपना तुरंत अपनी इस बीमारी के बारे में जान सकते हैं। इसके साथ ही अपना परहेज का भी ध्यान रखें। अगर आप डायबिटीज से जुड़ी कुछ और जानकारी पाना चाहते हैं तो हमें कमेंट लिख कर बता सकते हैं। साथ ही आप हमारे यूट्यूब चैनल TV Health पर भी डायबिटीज से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं।

संबधित स्रोत

डायबिटीज की पूरी जानकारी
टाइप 1 डायबिटीज की पूरी जानकारी
जेस्टेशनल डायबिटीज की पूरी जानकारी
प्री डायबिटीज की पूरी जानकारी

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