डायबिटीज आखिर क्या है? 

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो हाई ब्लड प्रेशर के स्तर पर निर्भर करती है। रक्त में बेहद अधिक ग्लूकोज होने लगती है और ब्लड ग्लूकोज, जिसे ब्लड शुगर के नाम से भी जाना जाता है। वे किसी भी  व्यक्ति में बहुत अधिक हो सकता है, इसे डायबिटीज कहा जाता है। साथ ही हमारे शरीर में इंसुलिन नामक एक हार्मोन होता है जो ग्लूकोज को हमारी कोशिकाओं में पहुचाने में मदद करता है जिससे की ऊर्जा प्रदान की जा सके।

डायबिटीज क्या है पूरी जानकारी सरल शब्दों में

आपको बता दें कि, डायिबिटीज में टाइप- 1, टाइप- 2 और गर्भावधि डायबिटीज जैसे विभिन्न प्रकार की डायबिटीज होती है। जब कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित होता है तो शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है और इस प्रकार ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में जाने में असफल रहता है और वे हमारे ब्लड में रहता है। यह बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का लेवल या ग्लूकोज का लेवल आंखों को नुकसान, किडनी को नुकसान, हृदय को नुकसान आदि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस प्रकार अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो डायबिटीज एक गंभीर स्थिति हो सकती है। जबकि डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन डायबिटीज को संभालने और स्वस्थ और फिट जीवन जीने के लिए कदम उठा सकता है और कुछ इस प्रकार की रोकथाम को अपनाकर डायबिटीज को बढ़ने से रोक सकते हैं।

डायबिटीज के कितने प्रकार है? 

डायबिटीज के कितने प्रकार है

1) टाइप – 1 डायबिटीज – इसमें आपके पेंक्रियाज में हार्मोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और इससे हमारे खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती हैं। इसे आनुवंशिकता और वायरल इंफेक्शन से जोड़कर देखा जाता है। इससे पीड़ित लोगों में से लगभग दस फीसदी लोग टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं।

2) टाइप – 2 डायबिटीज – इसमें आपके पेंक्रियाज में जरूरत के हिसाब से इंसुलिन नहीं बनता है या हार्मोन ठीक से काम नहीं करता है। अधिकतर टाइप – 2 डायबिटीन इन लोगों हो सकता है जो अधेड़ और वृद्ध है या मोटे और शारीरिक श्रम करने वाला लोग शामिल है।

3) जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भावधि डायबिटीज जिसमें गर्भवति महिलाएं इससे पीड़ित होती है। इसमें महिलाओं का शरीर उनकेऔर बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। अगर इसके आकड़े देखें तो 6 से 16 फीसदी महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित होने की संभावना रहती है।

डायबिटीज के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? 

डायबिटीज के क्या-क्या कारण हो सकते हैं

डायबिटीज होने के कुछ ऐसे कारणों के बारे में जानेंगे, जिसे पहचानकर आप तुरंत इलाज शुरू कर सकते हैं…

  1. अधिक मीठा खाना – अधिक मीठे का सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि मीठा खाने से शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. पानी की कमी – हमारे शरीर में पानी की कमी के कारण शुगर लेवल बढ़ सकता है जो डायबिटीज को न्योता देता है।
  3. मोटापे की समस्या – मोटापा भी डायबिटीज का एक सबसे बड़ा कारण है। जी हां, वजन बढ़ने से हमारे शरीर में बीमारियां अपना घर बनाने लगती है और इसमें से डायबिटीज भी एक है।
  4. व्यायाम न करना – व्यायाम न करने से शरीर मेंं  इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है और डॉक्टर भी रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं।
  5. नींद कम लेना या ठीक से नींद ना आना – जैसा की आज की व्यस्त जीवन शैली में हम लोग देर तक जागते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं जिसकी वजह से हमारी नींद पूरी नहीं हो पाती है और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी के शिकार होने लगते है।
  6. अन्हेल्दी डाइट लेना – आजकल हर किसी की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि वे एक दिन भी बाहर तला-भूना खाना खाएं बगैर नहीं रह सकते हैं। जी हां, जंग फूड खाना, तला-भुना खाना भी डायबिटीज कारण बनता है और देर से खाना खाने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि डायबिटीज बच्चों को भी चपेट में ले रहा है, क्योंकि आजकल के बच्चों को बाहर का जंग फूड ही पसंद आता है  जिसकी वजह से उनके शरीर में वसा जमा होने लगता है। साथ ही बच्चे अधिक मीठा खाते हैं फिर वे मिठाई हो या चॉकलेट इससे उनके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, इसलिए खासकर बच्चों की हेल्द का ध्यान रखना जरूरी है।

डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं? 

डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं

अगर आप नीचे दी हुई छोटी-मोटी परेशानियों से जूझ रहे हैं तो समझ जाएं की आपके शरीर मेंं डायबिटीज की शरूआत हो चुकी है।

  1. अधिक थकान महसूस होना – डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जिसमें आप खुद यानी की बिना कुछ काम करें थकान महूसस करने लगते है इसलिए अगर आपको तरोताजा होने पर भी आपको थकान होने लगे तो समझ जाएं की आप डायबिटीज के शिकार हो चुके हैं साथ ही इसका समय पर इलाज ना करवाने पर आप अन्य गंभीर बीमारियों के भी शिकार हो सकते हैं।
  2. अधिक यूरिन पास होना – किडनी खून में मौजूद अधिक शुगर को फिल्टर करने में सक्षम नहीं होती, इसलिए इस अधिक शुगर का निकलने का एक मात्र तरीका यूरिन का रास्ता है।
  3. प्यास अधिक लगना – अगर आपको हर थोड़ी में प्यास लग रही है और आप बस पानी पर पानी पिए जा रहे हैं तो समझ लीजिए की आपके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ रही है।
  4. वजन कम होना – अगर आपका वजन तेजी से कम हो रहा है और आपको खुद को थका हुआ महसूस कर रहें हैं तो समझ जाएं डायबिटीज की गंभीर समस्या से गुजरने वाले हैं।
  5. घाव या चोट का धीरे भरना – खून में शुगर का लेवल बढ़ने के कारण ऐसा होता है। साथ ही डायबिटीज टाइप – 2 के मरीजों में ये लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं।
  6. अधिक भूख लगना – एक नार्मल व्यक्ति के मुकाबले डायबिटीज के रोगी को अधिक भूख लगती है साथ ही अगर आपको अक्सर सर्दी खांंसी जुकाम रहता है तो आप डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं।

इसके अलावा थकान, सिर दर्द, धुंधलापन दिखना, इम्युनिटी सिस्टम का कमजोर होना, प्राइवेट पार्ट में दिक्कत और दिल की धड़कन तेज होना आदि डायबिटिज के शुरूआती लक्षण है।

जब खून में शुगर लेवल कम हो तब कुछ इस प्रकार के लक्षण नज़र आते हैं:-

  • बेचैनी
  • कपकपी
  • ज्यादा भूख लगना
  • पसीना आना

कुछ गंभीर केसेस में यह लक्षण भी नजर आ सकते हैं:- 

  • बेहोशी
  • दौरा पड़ना
  • व्यवहारिक बदलाव
  • शुगर लेवल कम होना आम तौर पर डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 से जूझ रहे मरीज़ो में होता है। इसमें ज्यादातर मामले हलके और सामान्य होते है, इमरजेंसी वाले नहीं होते।

बिना लक्षणों के डायबिटीज का कैसे पता करें :- 

अमेरिकन डायबिटीक एसोसिएशन गाइडलाइन (American diabetes association guidelines)[Source] के मुताबिक डायबिटीज की जांच करनी चाहिए जो लोग कुछ रिस्क फैक्टर से जुड़े हैं जैसे –

  • जिन्हें दिल की कोई बीमारी या बी.पी. की समस्या हो।
  • जिनके परिवार में डायबिटीज की समस्या का इतिहास रहा हो।
  • महिलाएं जिसे प्रेगनेंसी के वक्त डायबिटीज हुआ हो।
  • किसी लड़की या महिला में पीरियड्स का अनियमित होना।

इन लोगों को 25 वर्ष के बाद साल में कम से कम एक बार डायबिटीज का टेस्ट कराना चाहिए और जिस व्यक्ति में ये रिस्क फैक्टर नहीं हैं या कोई भी जोखिम कारक या लक्षण नहीं दिखते हैं, तो उन्हें 40 के बाद साल में एक बार शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए।

डायबिटीज का निदान क्या हो सकता है? 

  1. वजन कम होना – अगर आपका वजन बढ़ा हुआ है तो आपको रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल में रखने जरूरत है। यदि आप एक बार मोटापे में ब्लड शुगर के रोगी बन गए, तो आपके शरीर में बहुत सी दिक्कतें होना शुरू हो जाएगी। इसलिए एक स्वस्थ ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए वजन कम करने की जरूरत होती है। बढ़ा हुआ वजन डायबिटीज के साथ-साथ अन्य बीमारियों का घर बनने लगता है। आपको डायबिटीज के जोखिम को कम करने के साथ-साथ स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने बीएमआी प्राप्त करने की जरूरत होती है। वजन कम करने के लिए आप कुछ व्यायाम शामिल कर सकते हैं जो आपके ब्लड शुगर पर नॉर्मल करने में मदद करता है।
  2. डाइट में बदलाव करने की जरूरत – आपका आहार एक स्वस्थ ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में महत्वपूर्ण अदा करता है जो कुछ खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन कुछ ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा भी सकता है। साथ ही आपको ऐसे आहार को चुनना है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें। आप कोई भी फल खाएं उनके ग्लासेमिक इंडेक्स का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
  3. दवाएं का ध्यान रखें – डायबिटीज की लगातार हमेशा जांच करने की जरूरत होती है और आपके डॉक्टर आपको डायबिटीज से लड़ने के लिए कुछ दवाएं देते हैं उनको समय पर ले चाहिए। इसके अलावा अपने आहार और लाइफस्टाइल में, स्वास्थ्य में परिवर्तनों की अधिक जरूरत है।
डायबिटीज के सटीक उपचार क्या है? 

टाइप -1 डायबिटीज का कोई सटीक उपचार नहीं है, इसलिए डायबिटीज रोगियों को पूरी जिंदगी टाइप – 1 डायबिटीज का मरीज बनकर रहना पड़ता है। ऐसे मरीजों को इंसुलिन लेना पड़ता है जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को सामान्य करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर टाइप – 2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा को प्रतिदिन व्यायाम, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। एक अच्छी डाइट की मदद से टाइप – 2 डायबिटीज को सामान्य करने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स दवाएं टाइप – 2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में काफी सहायता करता है।

डायबिटीज से किस तरह बचाव  किया जा सकता है? 

डायबिटीज की शुरूआती स्टेजो में जीवनशैली मे थोड़े बहुत बदलाव करके इसे नियंत्रण में किया जा सकता है, लेकिन अधिक समस्या होने पर इसके रोकथाम के लिए व्यक्ति को इंसुलिन दिया जाता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।

डायबिटीज के लिए जरूरी टेस्ट कौन कौन से है? 

आज से कुछ टाइम पहले तक डायबिटिज रोगियों के शरीर में ग्लूकोज के स्तर की जांत करने के लिए यूरिन की जांच करवाई जाती है, लेकिन आज से समय यूरिन की बजाय ब्लड टेस्ट कराया जाता है। ब्लड टेस्ट के जरिए परिणाम एक दम सटीक देखने को मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं ब्लड चेक करना सही तरीके – 

ब्लड चेक करने की सही तरीका – 

पूरे दिन में आपके रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव आता रहता है, लेकिन इसमें कितना अंतर होना चाहिए, इस बारे में आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही आपकी हेल्थ के अनुसार ही डॉक्टर आपको सलाह देंगे कि, आपको कितनी बार शुगर लेवल चेक करने की जरूरत है।

कब-कब चेक करें ब्लड शुगर –
  • खाने और नाश्ते से पहले
  • एक्सरसाइज करने से पहले और बाद में
  • रात को सोने से पहले
नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल कितना हो – 

एक स्वास्थ्य रिपोर्ट के मुताबिक, खाना खाने से पहले रक्त शर्करा का स्तर 80 से 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या फिर 4.4 से 7.2 मिलीमोल प्रति लीटर होना चाहिए। इसके अलावा खाना खाने के 2 घंटे बाद आपका ब्लड शुगर 180 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। 

ब्लड शुगर चेक करने का सही तरीका 
  • शुगर चेक करने से पहले अपने हाथों को वॉश करके ठीक से सूखा लें।
  • अब अपनी मशीन के मीटर में एक टेस्ट स्ट्रिप को रखें।
  • अब टेस्ट किट के साथ मिलने वाली सुई को उंगली में चुभाएं और रक्त की एक बूंद जांच पट्टी के किनारे पर डालें।
  • फिर कुछ सेकेंड रूकें आपको स्क्रीन पर दिखने लगेगा कि, आपकी शुगर का लेवल कितना है।
निष्कर्ष 

बता दें कि, डायबिटीज जहां दुनियाभर में हर परिवार में कोई न कोई इस समस्या से जूझ रहा तो डायबिटीज होने के कई शुरूआती लक्षण भी दिखाई देते हैं और वे इन छोटी-छोटी शारीरीक समस्याओं को इग्नोर करने लगते है। जिसके बाद यह आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। फिर उनको इंसुलिन पर अपनी पुरी जिंदगी बितानी बढ़ती है।

इसलिए AgVa healthcare ने इंसुलिन इंजेक्शन से छुटकारा दिला कर डायबिटीज रोगियों के लिए  कम्प्यूटराइज्ड इंसुलिन पंप तैयार किया है। यह भारत की पहली कंपनी है जिसने इंसुलिन पंप तैयार किया है। जी हां, Insul by AgVa जो सही किमत, कम खर्च और नई तकनीकों के साथ आपको मिल रहा है। यह इतना अफोर्डेबल है कि इसको एक आम व्यक्ति भी बिना स्ट्रेस लिए खरीद सकता है। AgVa healthcare ने सबकी जरूरतों को देखकर ही इसको तैयार किया है।

FAQs

डायबिटीज की बीमारी कैसे होती है?

Ans. जब हमारी बॉडी में पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है, तब रक्त में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज  कहा जाता है। इस समस्या में हमारे रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। टाइप – 2 डायबिटीज बहुत अधिक फैट, हाई बीपी, समय पर ना सोना, सुबह देर से उठना, अधिक नाशा करना और बिगड़ती जीवनशैली की वजह से भी होती है।

शुगर में कौन कौन सी सब्जी नहीं खानी चाहिए?

Ans. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, डायबिटीज रोगियों को डाइट में उन सब्जियों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिसमें स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट की अधिकता हो। इसके अलावा जिन सब्जियों में नैचुरल शुगर पाई जाए और उन्हें खाने से भी बचना चाहिए। इसलिए आलू, कद्दू, चुकंदर, बींस, अरबी, टमाटर, शकरकंदी और कॉर्न खाने से परहेज करने की जरूरत है।

शुगर में क्या क्या परेशानी होती है?

Ans. रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने से आपके कई अंगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसमें बढ़ा हुआ ब्लड शुगर का स्तर किडनी की खराबी, अंधापन और दिल की समस्या भी इसका कारण बन सकता है। यही कारण है कि, डायबिटीज के रोगियों को नियमित रूप से शुगर लेवल का जांच रोजाना करने से सलाह दी जाती है।

डायबिटीज होने से किस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं बचाव के लिए क्या क्या करना चाहिए?

Ans. रोगी के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के मुताबिक, उसमें डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं। बहुत से केसेस में व्यक्ति प्री – डायबिटीज या टाइप – 2 डायबिटीज का से पीड़ित होता है, तब इस समस्या की शुरूआत में बहुत से लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन टाइप – 1 डायबिटीज में रोगियों में लक्षण बहुत तेजी से प्रकॉर होने लगते हैं और ये काफी गंभीर रूप ले लेती है इन लक्षणों में शामिल है जैसे – अधिक प्यास लगना, अधिक भूख लगना, बार-बार यूरिन पास होना, बिना काम करे भी थकान रहना, चिड़चिड़ापन रहना, आंखों के आगे धुंधलापन आना, अचानक वजन कम होना या बढ़ना, घाव भरने में अधिक समय लगना और स्किन इंफेक्शन जैसी कई लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके बचाव के लिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और डायबिटीज की शुरूआती स्टेजो में जीवनशैली मे थोड़े बहुत बदलाव करके इसे नियंत्रण करने की कोशिश करें, लेकिन अधिक समस्या होने पर इसके रोकथाम के लिए व्यक्ति को इंसुलिन दिया जाता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है।

शुगर में ताकत के लिए क्या खाएं?

Ans. आप पालक, मेथी, बथुआ, ब्रोकली, लौकी, तोरई, करेला जैसी सब्जियां खा सकते हैं। इन सब्जियों में कम कैलोरी और अधिक पोषक तत्व होते हैं। हरी सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट गुण अधिक मात्रा होता हैं जो हमारे ब्लड शुगर को शुध और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही हरी सब्जियां हार्ट और आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं।

शुगर में कौन कौन सी दाल खानी चाहिए?

Ans. कुछ साल पहले हुए एक रिसर्च के मुताबिक, यह बात सामने आई है कि अरहर दाल खाने या अरहर दाल का पानी-पीने से शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अरहल दाल के अलावा आप चना दाल, राजमा, हरी वाली मूंग दाल, चना या छोलों का भी सेवन कर सकते हैं, क्योंकि यह सारी चीजें भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है। लेकिन ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के बिना कुछ गलत ना खाएं।

क्या शुगर जड़ से खत्म हो सकता है?

Ans. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिस सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन कभी भी उसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है और ना ही अभी कोई इसकी जड़ से खत्म करने की दवा सामने आई है। इसलिए ऐसे में एक बार डायबिटीज होने पर आपको पूरी जिंदगी अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।

डायबिटीज की सबसे अच्छी दवा क्या है?

Ans. अगर आपक रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए दालचीनी का सेवन करना शुरू कर दें, तो सीलोन दालचीनी का इस्तेमाल करें। डायबिटीज रोगियों के लिए रोज इसका 6 ग्राम तक सेवन चाहिए।

इंसान का शुगर लेवल कितना होना चाहिए?

Ans. एक हेल्दी व्यक्ति का नॉर्मल ब्लड शुगर 90-100 mg/dl होना चाहिए और वहीं डायबिटीज का ब्लड शुगर लेवल 80-130 mg/dl तक होना चाहिए। बता करें भोजन के बाद की तो स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dl से कम, तो वहीं डायबिटीज का 180 mg/dl से कम होना चाहिए।

शुगर ज्यादा होने पर क्या करें?

Ans.अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो इसे कम करने के लिए इन उपायों को अपनाने की जरूरत है जैसे –

  1. पैदल चलना – वैसे तो रोजाना पैदल चलना चाहिए। लेकिन जब शुगर हाई हो जाए तो आपको टहलना और हल्का फुल्का ही सही व्यायाम करना चाहिए। यह बढ़े हुए शुगर को कम करने में सहायता करता है। लेकिन फिर भी रोजाना सुबह-शाम टहलने की आदत डालें।
  2. हरी सब्जियां – अधिक शुगर में आपको हरी सब्जियां जैसे पालक, करेला, लौकी, गोभी आदि का सेवन करना चाहिए। इसमें विटामिन, बीटा कैरोटीन और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है और आपके शुगर को कंट्रोल सहायक होती है।
  3. विटामिन डी – ब्लड में शुगर के लेवल को नियंत्रित रखने के लिए शरीर में विटामिन-डी का लेवल सही होने की जरूरत है। विटामिन -डी की कमी होने पर शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ने लगती है।
  4. मेथीदाना – मेथीदाने के सेवन से ब्लड में शुगर के लेवल को कम करने के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। रोजाना इसके सेवन से रोगियों को शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
  5. जौ – कहते हैं जौ में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है जो हमारी बॉडी में जाकर ग्लूकोज के लेवल को अधिक समय तक मेटाबोलइज करने में मदद करता है। इसलिए आपको इसे किसी न किसी रूप में आहार में शामिल करने की जरूरत है।

शुगर कितनी उम्र में होता है?

Ans. एक शोध के अनुसार, भारत में पुरुषों की औसत उम्र 65 साल और महिलाओं में 70 वर्ष है। लेकिन डायबिटीज के साथ जीने वाले व्यक्ति की औसत उम्र 60 और 65 साल है। इसके अलावा उसे कई दूसरी बीमारियां और कॉम्पलिकेशन हो जाते हैं।

डायबिटीज मेलिटस शरीर में क्या कारण से होता है?

Ans. हमारे शरीर में डायबिटीज मेलिटस इंसुलिन की कमी के कारण होता है, क्योंंकि इंसुलिन एक हर्मोन है जो पाचन से बनता है। यह हमारे शरीर में खाने को ऊर्जा में बदलता है और इंसुलिन ही हमारे शरीर में शुगर की मात्र को नियंत्रित करने में मदद करता है।

शुगर में चक्कर क्यों आते हैं?

Ans. अगर एक डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति अस्वस्थ महसूस करता है और उसे पसीना, चक्कर आना या शरीर में कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं तो संभव है कि उनका ब्लड शुगर लेवल लो है। शुगर लेवल को सामान्य लाने के लिए आपको रोगी को तुरंत एक ग्लूकोज टैबलेट, एक कैंडी या फिर एक चम्मच चीनी, शहद आदि खिलाने की जरूरत होती है।

संबधित स्रोत

टाइप 1 डायबिटीज की पूरी जानकारी
टाइप 2 डायबिटीज की पूरी जानकारी
जेस्टेशनल डायबिटीज की पूरी जानकारी
प्री डायबिटीज की पूरी जानकारी

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