डायबिटीज: क्या चावल का सेवन करे या नहीं?

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डायबिटीज एक काफ तेजी से फैलने वाली ऐसी बीमारी है, जिसके मरीजों की तादाद देश और दुनिया में बढ़ती जा रही है। अगर बात करें भारत की तो यह बीमारी इतनी तेजी से फैल रही है कि इनके मरीजों की तादाद 5 करोड़ तक पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2030 तक भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या आठ करोड़ को पार कर जाएगी। इस दुनिया में 23 करोड़ की अबादी क्रॉनिक बीमारी के साथ जी रहे हैं और आने वाले 20 साल में यह तादात बढ़कर 35 करोड़ तक पहुंच सकती है।

डायबिटीज के मरीजों को अपने खाने-पीने का अधिक ध्यान रखना चाहिए। उनके लिए कुछ खाघ पदार्थ प्रतिबंधित होते हैं। कार्बोहाइड्रेट एडिटिव्स और ग्लासेमिक के लेवल की वजह से कुछ खाघ पदार्थों को खाने की मनाही होती है। जिनमें से चावल एक है। जिसमें सफेद चावल अपने हाई ग्लासेमिक इंडेक्स के लिए जाने जाते हैं। जिसे खाने से शुगर लेवल बढ़ता है। इसमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, फाइबर और पॉलीफेनॉल्स की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए डायबिटीज के मरीज ने अगर भूल से भी चावल खा लिए, तो उसके परिणािम बेहद गंभीर साबित हो सकते हैं।

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बता दें कि, एक अध्ययन के अनुसार सफेद चावल की अधिक मात्रा में खाने से डायबिटीज का खतरा 11 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। साथ ही दूसरे अध्ययन के मुतबिक पता चला है कि, जिन व्यक्तियों ने सफेद चावल के बजाय ब्राउन राइस खाएं, उनमें टाइप – 2 डायबिटीज का खतरा भी बेहद कम हो जाता है। यदि आप चावल लेना चाहते हैं तो डायबिटीज फ्रेंडली चावल का ही चुने है। इसके अलावा हम बात करेंगे कि, डायबिटीज में चावल खाने से क्या हो सकता है।

कार्बोहाइड्रेड डायबिटीज के मरीजों को कैसे हानि पहुंचा सकता है?

जब मरीज द्वारा चावल का सेवल किया जाता है, तो भोजन के बाद ग्लूकोज लेवल एकदम से बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हमारे शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, यदि आपको डायबिटीज है, तो ध्यान देना जरूरी है कि आप कितना कार्बोहाइड्रेट ले रहे हैं।

  • टाइप -1 डायबिटीज वाले लोगों के लिए पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पाद नहीं करता, इसलिए भोजन में काब्रस इंटेक का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
  • टाइप – 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी है और ब्लड शुगर में वृद्धि के लिए पर्याप्त उत्पादन नहीं कर सकता है। तो इन लोगों को एक समय में बहुत सारे कार्ब लेने के बजाए पूरे दिन कार्बोहाइड्रेट खाने की सलाह दी जाती है।

डायबिटीज में चावल का सेवल करने से क्या होगा?

विशेषज्ञों के मुताबिक, एक कप सफेद चावल में 53.4 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। जब डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट युक्त पेय या खाघ पदार्थों का सेवन करता है, तो यह ग्लूकोज में टूट जाता है और तब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। 10 साल की रिसर्च के बाद सामने आया कि, दक्षिण एशियाई लोग एक दिन में 630 ग्राम तक चावल खाते हैं, जो डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ाता है।

डायबिटीज में कौन – कौन सें चावल खा सकते हैं?

दरअसल, सफेद चावल को चमकदार बनाने के लिए इसमें पॉलिशिंग की जाती है, जिससे इसमें मौजूद विटामिन बी जैसे कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। अगर संभव हो, तो ब्राउन राइस का ऑप्शन ही चुने। बता दें कि, ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर को नहीं बढ़ने देता, क्योंकि यह पॉलिश्ड होता है। साथ ही भूरे चावल में फाइबर, खानिज, विटामिन और लाभदायक रसायनों की मात्रा भी अधिक होती है। इसको खाने के बाद ब्लड शुगर का लेवल भी सफेद चावल की तुलना में कम बढ़ता है।

आप इसके अलावा जैसमीम राइस, बासमती राइस और वाइल्ड राइस का सेवन भी डायबिटीज मरीजों के लिए लाभकारी होता है। वहीं, पुराने चावल में स्टार्च और जीआई कम होता है। आप रातभर इस चावल को भिगोकर सुबह धोकर और माड़ निकालकर चावल को सेवन कर सकते हैं, जो हमारी हेल्थ के अच्छे साबित होते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

हमारे इस लेख आप ये तो जान ही गए होंगे की, सफेद चावल डायबिटीज रोगियों के और आम व्यक्ति के लिए भी हानिकार सिद्ध साबित हो सकता है, तो ऐसे में आप ब्राउन राइस का ही सेवन वो भी हमारी बताए तरीको से। दोस्तों अगर आपको हमारी जानकारी पसंद आई हो तो इस लेख को अपने करीबियों को भी शेयर करें।