गर्भावस्था में डायबिटीज के दौरान भूल से भी न खाये ये चीज़ें

गर्भावस्था में डायबिटीज के दौरान भूल से भी न खाये ये चीज़ें
आज की व्यस्त जीवनशैली में अनियंत्रित खानपान और अनियमित जीवनशैली की वजह से अधिकतर लोग डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के समय हार्मोन में बदलाव के कारण भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। जिसकी वजह से उन्हें डायबिटीज हो सकती है। बता दें कि, मेडिकल टर्म में इस स्थिति को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। लेकिन जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ही डायबिटीज की बीमारी हुई हो, उनमें बच्चे को जन्म देने के बाद यह खत्म हो जाती है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल में बात करने जा रहे हैं गर्भावस्था में डायबिटीज के दौरान महिलाओं को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए? तो आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
गर्भावस्था में डायबिटीज जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जहां रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है। जिसमें आमतौर पर रक्त में ग्लूकोज की मात्रा इंसुलिन नामक एक हार्मोन द्वारा नियंत्रित होती है। साथ ही गर्भावस्था के समय कुछ महिलाओं के रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक होता है और उनका शरीर उन सभी कोशिकाओं में रक्त पहुंचाने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सकते हैं तो इसका अर्थ है कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
डायबिटीज के प्रकार
गर्भावस्था में डायबिटीज वो डायबिटीज है जिसकी पहचान पहली बार गर्भावस्था के दौरान की जाती है। डायबिटीज के दो अन्य मुख्य प्रकार है:-
- टाइप – 1 डायबिटीज – जब हमारी बॉडी बिल्कुल भी इंसुलिन पैदा नहीं करती है। (इसे किशोर डायबिटीज या शुरूआती डायबिटीज के रूप में जाना जाता है)
- टाइप – 2 डायबिटीज – जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करती है।
गर्भावस्था में डायबिटीज का खतरा
गर्भावस्था के समय आपका शरीर कई हार्मोन पैदा करता है जिसमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और मानव प्लेसेंटल लैक्टोजन (estrogen, progesterone and human placental lactogen)। ये हार्मोन आपके शरीर को इंसुलिन प्रतिरोधी बनाते हैं, जिसका मतलब है कि आपकी कोशिकाएं यानी की सेल्स इंसुलिन के लिए कम प्रतिक्रिया देती हैं और आपके रक्त में ग्लूकोेज का स्तर अधिक रहता है।
इन हार्मोन के प्रभाव का उद्देश्य आपके रक्त में अतिरिक्त ग्लूकोज और पोषक तत्वों को भ्रूण तक पहुंचाना है क्योंकि भ्रूण का विकास हो सके। इसके अलावा आपके रक्त में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा का सामना करने के लिए, आपके शरीर को अधिक इंसुलिन का उत्पादन करना चाहिए। वैसे कुछ महिलाएं ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुचाने के लिए गर्भावस्था में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सकती है या उनके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए अधिक प्रतिरोधी होती है। इस अवस्था को यानी गर्भावधि डायबिटीज के रूप में जाना जाता है।
गर्भावस्था में डायबिटीज के कारण
जैसा की हम पहले भी बात कर चुके हैं कि जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता, तब गर्भावधि डायबिटीज होता है और इंसुलिन शरीर में पैदा होने वाला वह हार्मोन है, जो शरीर में भोजन व ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलता है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान विभिन्न हार्मोन के लेवल में बढ़ोत्तरी होती है, जिससे शरीर में वजन बढ़ने जैसे बहुत से बदलाव होने लगते हैं। इन हार्मोंस के बढ़ने से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बिगड़ जाता है। इसलिए इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोधक कहा जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से बॉडी में इंसुलिन की जरूरत और अधिक बढ़ जाती है।
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के आखिरी महीनों में इंसुलिन प्रतिरोधक का सामना भी करना पड़ता है और वहीं कुछ महिलाओं में यह गर्भावस्था शुरू होने से पहले भी होता है। ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था के समय और अधिक इंसुलिन की आवश्यकता होती है। साथ ही इन्हें गर्भावस्था में डायबिटीज होने का अधिक खतरा रहता है। तो ये थे गर्भावस्था में डायबिटीज के कारण और अब नीचें हम इनके लक्षणों के बारे में बात करेगें।
गर्भावस्था में डायबिटीज के लक्षण
यदि आप गर्भावती है और आपको गर्भावधि डायबिटीज के बारे में सतर्क रहना चाहते हैं, तो इन लक्षणों पर अवश्य नजर डालें:-
- बहुत जल्दी थक जाना
- बार-बार प्यास लगना
- हर थोड़ी देर में पेशाब आना
- धुंधला दिखाई देना
- मूत्राशय, योनि और स्किन पर लगातार इंफेक्शन होना।
किसी भी गर्भवती महिलाओं में ऊपर बताएं गए ये लक्षण नजर आएं तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, क्योंकि इसका समय रहते उचित इलाज होना जरूरी है।
गर्भावस्था में डायबिटीज के दौरान भूल कर भी ये खाना ना खाएं:-
जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए एक खास तरह की डाइट को अपनाना पड़ता है। जिसमें इन खाघ पदार्थों से बचें, जिनके लेबल पर “डायबिटीक” लिखा होता है। बिना पके अंडे, मांस और मछली का सेवन करने से बचें, इसमें पारे की मात्रा अधिक हो सकती है और क्रीम दूध का सेवन करने से भी बचें। इसके अलावा, अल्कोहल से बचें।
- कोल्ड ड्रिंक, कैंडी व टॉफी से परहेज करें
- ऐसी चीजें न खाएं जिनमें बहुत तेज मीठा हो
- जैम और शहद से परहेज करें
- बेक की गई चीजें जैसे कि केक और मफिंस का सेवन ना करें
- बाहर का तला भूना बिल्कुल ना खाएं
गर्भावस्था में डायबिटीज महिलाओं के लिए डाइट प्लान:-
गर्भावस्था के दौरान होने वाली जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए आपको डाइट चार्ट दिया गया है जिसमें आपको सुबह से लेकर रात का भोजन बताया गया है।
नाश्ता –
कोशिश करें कि अपने ब्रेकफास्ट में 2-3 प्रकार के कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन लेना है।
- साबूत अनाज से बने ब्रेड टोस्ट के साथ पीनट बटर, जैम या चीज़
- बेहद कम मात्रा में चीनी युक्त फल
- कम चीनी के साथ लो फैट वाला दही
- कम मात्रा में अंडा, मछली और चिकन
दोपहर का भोजन –
- एक छोटा कटोरा सफेद चावल और बीन्स
- ब्राउन राइस के साथ दाल, सब्जी, मछली या चिकन
- साबूत अनाज की ब्रेड के साथ एक कटोरा चिकन और स्वीटकॉर्न सूप
रात का खाना –
- सब्जियों के साथ रोस्टेड चिकन
- नूडल्स के साथ चिकन या मछली
- वेजिटेबल करी और सफेद वाला चावल
वैसे तो खाने में आपके पास बहुत से ऑप्शन है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप जो भोजन ग्रहण कर रहे हैं वो पचने में अधिक समय ना ला। साथ ही ये भी ध्यान रखना आवश्यक है कि ये आपके ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखते हुए आप और आपके बच्चे दोनों की कैलोरी की आवश्यकता का पूरी करें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह लेना भी अवश्यक है।
निष्कर्ष
आज हमने अपने AgVa के आर्टिकल में गर्भावस्था में डायबिटीज की समस्या के बारे में बात की। जिसमें हमने आपको कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश करी है। हम आशा करते हैं कि आपको हमारी जानकारी पसंद आई होगी। अगर आप गर्भावस्था में डायबिटीज से जुड़ी और जानकारी पाना चाहते हैं तो नीचे कमेंट में लिख बताएं। हम आपके सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। इस बहुमुल्य जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में हमारी सहायता करें।